आरतिया ने केन्द्रीय बजट के लिए सुझाव भेजे

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जयपुर ,22 नवम्बर । अखिल राजस्थान ट्रेड एंड इंडस्ट्रीज एसोसियेशन (आरतिया) ने केन्द्रीय मंत्री एवं राजस्थान के प्रमुख सचिव एवं सचिव (वित्त) व वाणिज्य कर आयुक्त राजस्थान को केन्द्रीय बजट के लिए आज सुझाव का ज्ञापन सौपा।

आरतिया अध्यक्ष विष्णु भूत ने बताया कि जबसे जीएसटी लागू हुआ है तब से अब तक हजारों अमेंडमेंट्स हो गये है, जिसकी वजह से यह कानून बडे-बडे टैक्स प्रैक्टनर्स के लिये भी कॉम्पलीकेटेड हो गया है, तो व्यापारियों के लिये तो बडी कठिन स्थिति हो गई है, ऐसे में इस पर सभी व्यापार व उद्योग की प्रतिनिधी संगठनों से जरूरी जानकारियां प्राप्त कर इसका सरलीकरण किया जाना चाहिए।
उन्होने कहा कि सरलीकरण के लिए व्यापारिक संगठनों से सुझाव आमंत्रित कर विषय विषेषज्ञों के पैनल के साथ बैठक कर इस पर निर्णय किया जाना चाहिए ताकि इसे व्यापार व उद्योग फ्रेंडली बनाया जा सके।
भूत ने कहा कि जीएसटी की दरों/कानून में वर्ष पर्यन्त बाद-बार बदलाव नहीं किये जावे, बल्कि बजट में जो बदलाव हों, वहीं साल भर यथावत रखे जावें। बार-बार बदलाव से कारोबारियों के समक्ष लेखा-परिचालन में बहुत दिक्कतें आती है। साथ ही जीएसटी के वर्तमान चार स्लेब्स को घटाकर मात्र दो स्लेब रखे जावें तथा जीएसटी ट्रिब्यूनल की ब्रांच जयपुर में खोली जावे जिससे जीएसटी सम्बन्धी मामलों का निस्तारण षिघ्रता से किया जा सके और समय व संसाधनों की बचत की जा सके।

आरतिया के मुख्य संरक्षक आशीष सराफ ने बताया कि वित्त मंत्री को आयकर की छूट सीमा 10 लाख तक बढाने, आयकर एक्ट 80सी की छूट को 3 लाख किये जाने, अफोर्डेबल हाउसिंग पर आयकर की छूट को आगामी 5 वर्षों के लिये बढाये जाने, पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में लाने, निर्यात को बढाने, पी.एफ. कटौती में कार्मिकों की संख्या 50 किये जाने सहित विभिन्न सुझाव प्रेषित किये गये हैं।

आरतिया के मुख्य सलाहकार कमल कन्दोई ने साईबर क्राईम प्रिवेंशन एवं रेगूलेशन एक्ट बनाये जाने का सुझाव रखा। उन्होंने बताया कि आज लगभग आज दुनिया पूरी तरह इंटरनेट पर निर्भर है और पूरी तरह डिजिटल हो चुकी है। आज लगभग प्रत्येक व्यक्ति एंड्रॉयड मोबाईल का उपयोग करता है और करीब 30 प्रतिषत लोग कंप्यूटर और लैपटॉप का उपयोग अपने निजी कार्यों में, ऑफिस व व्यापार की लेन-देन के लिये उपयोग करते हैं। वर्तमान में साईबर क्राईम से जुडे ज्यादातर मामले आई.टी. एक्ट 2000 की धारा 43, 65,66,67 व आई.पी.सी. की धारा 420, 120बी और 406 के अन्तर्गत चलाये जाते हैं।

उन्होने कहा कि वर्तमान में डिजीटलाईजेषन की जो रफ्तार है तथा आज प्रत्येक व्यक्ति दैनिक लेन-देन से लेकर व्यापार तक में डिजीटल माध्यमों को उपयोग करता है तो ऐसे में ठगी की वारदातें एवं उसके प्रकार दिन-ब-दिन बढते जा रहे हैं। इसलिये आई.टी. एक्ट एवं आई.पी.सी. एक्ट की धाराओं को सम्मिलित करते हुये भारत में ‘‘साईबर क्राईम पिव्रेंषन एवं रेगूलेषन एक्ट’’ बनाया जावे ताकि ऑनलाईन ठगी एवं साईबर क्राईम के पीड़ितों को एक समय सीमा में जल्द से जल्द न्याय मिल सके, साथ ही साईबर क्राईम एवं इससे बचने के लिये लोगों को विभिन्न कार्यशालाओं, सेमीनार के माध्यम से जागरूक किया जावे व ऑनलाईन धोखाधडी से लोगों को बचाने के लिये इस हेतु इंष्योरेंस का प्रावधान किया जावे तथा इसके लिये देष एवं राज्य के व्यापारिक संगठनों एवं एसोसियेशन्स् को साथ लेकर एक गहन जागरूकता कार्यक्रम पखवाडा चलाया जावे।

आरतिया के कार्यकारी अध्यक्ष प्रेम बियानी ने बताया कि ईज ऑफ डूईंग बिजनेस, उद्योगों की प्रक्रिया के सरलीकरण, एमएसएमई क्रेडिट कार्ड, व्यापारियों हेतु पेंषन योजना, ट्रेड मार्क पंजीकरण की प्रक्रिया को समयबद्ध किये जाने, जीवन बीमा व जनरल इंष्योरेंस पर जीएसटी दर 5 प्रतिशत किये जाने, पार्टनरशिप फर्मों पर कार्पोरेट टैक्स 15 प्रतिषत किये जाने सहित विभिन्न प्रांसंगिक सुझाव प्रेषित किये गये हैं।