अनिल माथुर
एक देश , एक चुनाव की चर्चाओं के बीच राजस्थान में इस साल के अंत में होने वाले विधान सभा चुनाव के लिए अक्टूबर महिने में किसी भी दिन चुनाव आयोग राजस्थान समेत पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव की घोषणा कर सकता है । चुनाव सरगर्मियों के बीच राजस्थान में सत्ताधारी कांग्रेस और मुख्य प्रतिपक्ष भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव में फतह पाने के लिए अपने पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को टटोलना शुरू कर दिया गया है साथ ही मतदाताओं के रिझाने के हर संभव प्रयास शुरू हो गए है ।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे , पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, राष्ट्रीय महामंत्री प्रियंका गांधी वाड्रा प्रदेश में चुनावी प्रचार का शंखनाद कर चुके है । मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पांव में चोट हालाकि पूरी तरह से ठीक नहीं हुई है फिर भी अपनी पुरानी फार्म में लौट आए है ओर प्रदेश के हर क्षेत्र का दौरा कर हर वर्ग से मिल रहे है देवी देवताओं को धोकने के साथ ही अधिकारियों की देर रात बैठके लेकर योजनाओं की तेजी से क्रियान्वति करने और बकाया काम को समय सीमा में पूरा कर प्रदेशवासियों को राहत देने में जुटे हुए है ।
दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी ने भी राजस्थान पर अपनी आंख जमाते हुए वरिष्ठतम नेताओं को परिर्वतन संकल्प यात्रा में व्यस्त कर दिया है । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राजस्थान में चुनाव की कमान संभाले हुए है । पार्टी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह, मोदी के विश्वस्त केन्द्रीय कानून राज्य मंत्री अर्जुन मेघवाल, केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ,रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को परिवर्तन संकल्प यात्रा के माध्यम से गांव गांव तक कांग्रेस सरकार के खिलाफ हल्ला बोल रहे है । यह अलग बात है कि जी 20 महासम्मेलन में व्यस्त रहने के कारण राजनाथ सिंह समेत अन्य कुछ नेता तय कार्यक्रम के अनुसार परिर्वतन संकल्प यात्रा में शामिल नहीं होने के कारण स्थानीय नेताओं पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी, नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र सिंह राठौड,पूर्व मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड के कंधों पर इसकी जिम्मेदारी आ गयी है ।यह अलग बात है कि बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे परिर्वतन संकल्प यात्रा के शुरूआत में मंच पर नजर आ रही है पर अन्य स्थान पर एकला चलों की नीति पर आगे बढ रही है । बीजेपी आलाकमान के लिए यह चिन्ता बढ़ती जा रही है ।
लोकजनशक्ति पार्टी के स्वंयभू हनुमान बेनीवाल, शिवसेना:शिन्दे: का दामन थाम चुके मंत्रिमंडल से बर्खास्त राजेन्द्र गुढ़ा और हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला जननायक जनता पार्टी के सहारे राजस्थान में उलटफेर का दावा कर रहे है इनके दावे की असलियत चुनावी गठजोड की मजबूरी या अपने दम पर चुनाव मैदान में उतरने के बाद की स्थिति यह सब कुछ चुनाव परिणाम में सामने आयेगी लेकिन इतना तय है कि व्यक्तिगत आरोपों की बौच्छारे कम होने के बजाए ओर द्रुतगति से बढ़ेगी यह तय है ।
चुनाव तिथियों का ऐलान नहीं हुआ है ,बावजूद कांग्रेस,बीजेपी और अन्य दलों की जनसभाओं में नेता जिस तल्की के साथ सम्बोधन कर रहे है वह अपने आप में चौकाने वाला है । विशेष तौर से प्रतिपक्ष नेता जिस तरह से जनसभाओं में या मीडिया से बातचीत करने में बिना किसी दस्तावेजी सबूत के व्यक्तिगत आरोप प्रत्यारोप लगा रहे है वह चिन्ता का विषय है । चुनावी माहौल बने बिना इस तरह के आरोप लगने से यह तो साफ लग रहा है कि चुनाव जनसभाओं में तनाव का माहौल रहने की उम्मीद बढ रही है । नेता तो अपना सम्बोधन देकर सभा स्थल या शहर कस्बे से रवाना हो जाते है पीछे स्थानीय कार्यकर्ता आपस में उलझने की घटनाएं सामने आ रही है । राजनीतिक दलों के नेताओं के बीच सौहार्दपूर्ण सम्बधों को लेकर राजस्थान का नाम बड़े शान से लिया जाता रहा है ,उम्मीद की जानी चाहिए की यह स्थिति आगे भी बनी रहेगी ।
जी 20 महासम्मेलन सम्पन्न होने के बाद परिर्वतन संकल्प यात्रा में तेजी आएगी यह तय है । बीजेपी को जी 20 समिट का कुछ बहुत फायदा मिलना तय लग रहा है, ग्रामीण इलाकों में इस समिट की चर्चा नहीं है लेकिन युवाओं में इसकी खासी चर्चा है । लेकिन अभी तक की निकली यात्राओं में उम्मीद के मुताबिक भीड़ नहीं जुटने के कारण बीजेपी के रणनीतिकार बैचेन है ।
5 राज्यों के विधान सभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच ही एक देश एक चुनाव की चर्चा चलने और संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने को लेकर राजनीतिक गलियारों में ही नहीं बल्कि कार्यालय,सार्वजनिक स्थानों पर इस मुददे को लेकर हर कोई अपना अपना अनुमान लगा रहे है । यह नहीं है कि एक देश एक चुनाव की बात या विशेष सत्र इससे पहले नहीं बुलाया गया ऐसी बात नहीं है लेकिन जिस तरीके से यह दोनों मुददे अचानक हवा में आए है इसे लेकर हर कोई अपने अपने हिसाब से जोड बाकी कर रहा है ।
सरकार द्वारा विशेष सत्र बुलाए जाने को लेकर विपक्ष को भरोसे में नहीं लेने और विशेष सत्र का एजेंडा नहीं बताया गया है इससे विपक्षी दल केन्द्र सरकार के कामकाज के तरीके से खासे नाराज है ।सरकार का हक है विशेष सत्र बुलाने का लेकर परिपाटी यह रही है कि सरकार विपक्षी दल को भरोसे में लेती है और एजेंडा पर भी चर्चा करती है । लेकिन यह पहली बार हो रहा है कि दोनों बाते गौण है ।
सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर विशेष सत्र बुलाने का कारण और एजेंडा की जानकारी चाही है लेकिन संभवत अभी तक चिटटी के का जवाब तो नहीं आया है हॉ संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा संसद सत्र पूरी प्रक्रिया का पालन करके बुलाया गया है। जोशी भी एजेंडा मुददे पर मौन है ।
राजनीतिक गलियारों में तैर रहीं चर्चाओं के अनुसार केन्द्र सरकार एक देश एक चुनाव पर कदम आगे बढा सकती है ।देश में पहले भी इस मुददे पर खूब चर्चा हो चुकी है , अच्छा हो सरकार विपक्षी दलों को भरोसे में लेकर कदम आगे बढ़ाए । एक देश एक चुनाव से धन कम खर्च होगा, राजनीतिक परिद्रश्य साफ होगा साथ ही चुनाव कार्य में बार बार कर्मचारियों की तैनाती में कमी आयेगी । लेकिन जिस ढ़ग से यह मुददा हवा में आया है और केन्द्र सरकार संसद के विशेष सत्र को बुलाए जाने को लेकर जिस तरीके से विपक्षी दलों को अंधरे में रखा गया है यह चिन्ता का विषय है ।सरकार का अपना अधिकार है और विपक्ष का अपना ।संसद चलाने की जिम्मेदारी सरकार की होती है ऐसे में विपक्ष को साथ लेकर आगे बढना चाहिए ।
साभार मासिक समाचार पत्र माइंड प्लस 15 सितम्बर 2023