अपनी माटी, अपना सिनेमा     

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-श्याम माथुर-

वरिष्ठ पत्रकार एवं फिल्म समीक्षक

राजस्थानी भाषा के फिल्मकारोंकलाकारों और दर्शकों की लंबे समय से चली आ रही मांग को देखते हुए पहली बार राजस्थान में फिल्म टूरिज्म प्रमोशन पॉलिसी का एलान किया गया। हालंाकि इस नीति को तैयार करने में सिर्फ शासन तंत्र के लोगों की भूमिका ही रहीफिल्मकारों और रचनाकारों की इसमें कोई भागीदारी नहीं रही।

राजस्थानी भाषा में फिल्मों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने जो नीति बनाई है वह एक सकारात्मक कदम है। हालांकि यह भी निश्चित है कि सिर्फ सरकारी तंत्र के जरिए राजस्थानी सिनेमा की कामयाबी के ख्वाब नहीं देखे जा सकते। इस दिशा में प्रभावी बदलाव के लिए फिल्मकारों को ही जरूरी कदम उठाने होंगे, फिर भी सरकार ने अपनी नीति में राजस्थानी भाषा में फिल्म बनाने पर आर्थिक सहायता, अवार्ड और नकद पुरस्कार के प्रावधान किए हैं और इस तरह प्रदेश की कला और संस्कृति का बढ़ावा देने की दिशा में ठोस पहल की है।

देशी-विदेशी फिल्म निर्माताओं को राजस्थान में शूटिंग करने पर सब्सिडी दी जाएगी। इतना ही नहीं, सरकार मुफ्त में लोकेशन भी उपलब्ध करवाएगी। फिल्म शूटिंग के लिए दूसरी सुविधाएं भी उपलब्ध कराने का वादा किया गया है। फिल्म पर्यटन प्रोत्साहन नीति से रोजगार के नए अवसर भी सामने आएंगे, क्योंकि राज्य में फिल्म शूटिंग को प्रोत्साहन मिलने से फिल्मों से जुड़े विविध क्षेत्रों में रोजगार का सृजन होगा। फिल्मों के माध्यम से राजस्थान के पर्यटक स्थलों का देश और दुनिया में प्रचार-प्रसार होगा।

फिल्म पर्यटन प्रोत्साहन नीति के तहत निवेशकों के लिए वित्तीय प्रोत्साहन (सब्सिडी) का सबसे आकर्षक पैकेज उपलब्ध है। फिल्म प्रोत्साहन नीति की मुख्य बातें इस प्रकार हैं-

– राजस्थान में फिल्मों की शूटिंग के लिए 2 करोड़ रुपए तक की सब्सिडी।

– राजस्थान सरकार के स्वामित्व वाले किसी भी स्मारक, स्थान और संपत्ति पर फिल्मांकन के लिए लागू सभी शुल्क और लेवी से छूट।

– राजस्थान सरकार के स्वामित्व वाले सर्किट हाउस और गेस्ट हाउस में आधिकारिक दरों पर आवास, साथ ही आरटीडीसी/आरएसएचसी होटलों में 50 प्रतिशत की छूट (अधिकतम 10 लाख रुपए)।

– राजस्थान में फिल्मों की शूटिंग के लिए सभी मंजूरी और सुविधा के लिए सिंगल विंडो।

– स्टेट जीएसटी का 100 प्रतिशत रिफंड।

– सरकार द्वारा स्वर्ण कमल से सम्मानित फिल्म को 1 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता।

– सरकार द्वारा रजत कमल से सम्मानित फिल्म को 50 लाख रुपए की वित्तीय सहायता।

राजस्थानी भाषा में फिल्म निर्माण को बढ़ावा देने के लिहाज से कहानी, निर्देशन, अभिनय, संगीत, सिनेमैटोग्राफी, कोरियोग्राफी आदि विभिन्न मापदंडों पर राजस्थान भाषा की फिल्मों को रैंक/श्रेणियां (ए प्लस से सी रैंक तक) दी गई हैं।

गौरतलब है कि राजस्थानी भाषा के फिल्मकार लंबे समय से सिनेमा प्रोत्साहन नीति की मांग कर रहे थे। वे  क्षेत्रीय भाषाई सिनेमा के लिए अनुदान की मांग भी करते रहे हैं। दरअसल दूसरे प्रदेशों की सरकारें अपनी माटी से जुड़े सिनेमा को प्रोत्साहन देने के लिए अनुदान और दूसरी सहायता प्रदान करने की नीतियों पर चल रही थीं। दक्षिण भारत में तो रीजनल सिनेमा के लिए हमेशा ही अनुकूल स्थितियां रही हैं, पर अब उत्तर भारत के राज्य भी इन्हीं नीतियों को अपनाने लगे। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सरकारों ने सिनेमा को बढ़ावा देने के लिए अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए, और अब इस मोर्चे पर राजस्थान सरकार ने भी पहल की है।

राजस्थानी भाषा के फिल्मकारों, कलाकारों और दर्शकों की लंबे समय से चली आ रही मांग को देखते हुए पहली बार राजस्थान में फिल्म टूरिज्म प्रमोशन पॉलिसी का एलान किया गया। हालांकि इस नीति को लेकर कुछ सवाल आज भी उठाए जा रहे हैं। इसकी एक बड़ी वजह तो यह है कि इस नीति को तैयार करने में सिर्फ शासन तंत्र के लोगों की भूमिका ही रही, फिल्मकारों और रचनाकारों की इसमें कोई भागीदारी नहीं रही। यह नीति हिसाब-किताब तथा आंकड़ों की ही बात करती है, जबकि रचनाकार इस मोर्चे पर कच्चा होता है।

मसलन, इसमें एक प्रमुख शर्त यह रखी गई है कि सिनेमाघरों में राज्य जीएसटी की रकम कम करके टिकट बेचे जाएंगे और दर्शक से नहीं ली गई रकम फिल्मकार राज्य सरकार को जमा कराएगा, जिसे सरकार बाद में वापस लौटा देगी। यह बड़ा पेचीदा मसला है, जिससे ज्यादातर फिल्मकार सहमत नहीं हैं। इसके अलावा लघु फिल्में बनाने वालों को इस नीति में कोई स्थान ही नहीं दिया गया है। साथ ही प्रदेश के सिनेमाघरों में राजस्थानी भाषा की फिल्म को रिलीज करने के बारे में भी इस नीति में किसी किस्म की अनिवार्यता नहीं रखी गई है।

मासिक समाचार पत्र ” माइंड प्लस”  के 15 जुलाई 2023 के अंक से साभार