रायपुर, 9 नवम्बर । आरक्षण के मुद्दे को लेकर छतीसगढ विधानसभा का विशेष सत्र 1 दिसम्बर को आहूत किया गया है ।
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने विधान सभा की ओर से भेजे गए इस आश्य के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी । यह सत्र 01 और 02 दिसंबर को होगा ।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आदिवासी आरक्षण के मुद्दे को लेकर विधानसभा का विशेष सत्र आहूत करने का प्रस्ताव विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत को भेजा था । मुख्यमंत्री ने आगामी एक एवं दो दिसंबर को विधानसभा का विशेष सत्र आहूत किए जाने का आग्रह किया था।
गुजरात चुनाव की पृष्ठभूमि में आदिवासी मतदाताओं का लाभ लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बांसवाडा जिले के मानगढ को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने का मानस तैयार किए बैठे थे लेकिन राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रधानमंत्री से पहले ही यह मुददा खूद लेकर उड गए । गहलोत ने प्रधानमंत्री से मानगढ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग कर डाली । प्रधानमंत्री धर्म सकंट में फंस गए यदि घोषित करते है तो गहलोत और कांग्रेस को गुजरात में आदिवासी मतों का फायदा मिल जाएगा । यह सोच प्रधानमंत्री मानगढधाम के मुददे पर मोैन रहे ।
लेकिन प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश ,राजस्थान,महाराष्ट्र से मानगढ के बारे में साझा तैयारी करने के लिए बोला लेकिन इस बीच छतीसगढ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आदिवासियों को आरक्षण देने के लिए बडा कदम उठा लिया ।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आदिवासी समाज को भरोसा दिलाया है कि राज्य में आरक्षण के मामले में आदिवासी निश्चिंत रहें, उन्हें 32 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिलाने के लिए हम हर संभव प्रयास कर रहे है। महाराष्ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक में आरक्षण की विधिक स्थिति का अध्ययन करने के लिए छत्तीसगढ़ शासन की ओर से वरिष्ठ अधिकारियों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं का दल शीघ्र वहां जाएगा। अध्ययन दल के गठन एवं इस संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश को लेकर सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय द्वारा आदेश भी जारी कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि आदिवासियों के हित और उनके संरक्षण के लिए संविधान में जो अधिकार प्रदत्त है, उसका पालन हमारी सरकार कर रही है। हमारी स्पष्ट मंशा है कि संविधान द्वारा अनुसूचित जनजाति वर्ग को प्रदान किए गए सभी संवैधानिक अधिकार उन्हें प्राप्त हों।