उदयपुर 18 अप्रैल । विश्व विरासत दिवस की पूर्व संध्या पर यहां आयोजित एक कार्यक्रम में आयुर्वेद चिकित्सकों ने कहा कि प्राचीन भारतीय आयुर्वेद चिकित्सा व परंपरागत सुगम चिकित्सा पद्धति हमारी विरासत है,इनका संरक्षण व शोध जरूरी है ।
भारतीय चिकित्सा विकास परिषद के अध्यक्ष डॉ. मनोज भटनागर ने कहा कि आयुर्वेद मैं बताए गए योग,आहार- विहार व चिकित्सा नियमो पर चलकर आरोग्य प्राप्त कर प्राचीन काल में लोगों ने पुरुषार्थ(धर्म ,अर्थ ,काम ,मोक्ष )को प्राप्त किया था लेकिन वर्तमान में उत्पन्न भयंकर रोग आरोग्य को नष्ट कर रहे हैं।
उन्होने कहा ऐसे में जीवन को बचाने के लिए हमारे पहाड़ों ,जंगलों में पाई जाने वाली विलुप्त होती महत्वपूर्ण आयुर्वेदीय वनस्पतियों के साथ प्राचीन परंपरागत चिकित्सा पद्धति तथा अष्टांग आयुर्वेद की शल्य,शालाक्य, कायचिकित्सा ,भूत विद्या ,कौमारभृत्य, अगद तंत्र ,रसायन व वाजीकरण स्वरूप आयुर्वेद की समस्त शाखाओं में विशेष अनुसंधान के साथ उन मूल ग्रंथों के संरक्षण व आधुनिक तौर पर उन पर शोध कार्यअत्यंत आवश्यक है।
कार्यक्रम का आयोजन भारतीय चिकित्सा विकास परिषद एवं मेवाड़ इतिहास परिषद उदयपुर ने किया था । संगोष्ठी का विषय था “आयुर्वेद धरोहर के मूल ग्रंथों की प्राचीनता एवं आधुनिक युग में शोध परक महत्व ” ।
मुख्य वक्ता राजस्थान आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी संघ उदयपुर के अध्यक्ष डॉ.धर्मसिंह बैरवा ने कहा कि आयुर्वेद अथाह है ,हमारी विरासत है ,मानव मात्र को इसके उद्देश्यों को आत्मसात करना होगा तभी स्वस्थ व दीर्घ जीवन संभव है।
मुख्यअतिथि पद से मेवाड़ इतिहास परिषद के अध्यक्ष इतिहासकार प्रोफ़ेसर गिरीश नाथ माथुर ने कालक्रम अनुसार आयुर्वेद के विकास की परंपरा पर प्रकाश डाला व आयुर्वेद रुपी विज्ञान को विरासत में सम्मिलित करना जरुरी बताया।संगोष्ठी का संयोजन शिरीष नाथ माथुर ने आयुर्वेद की प्राचीन प्रमाणिकता के इतिहास का उल्लेख कर इसे सुव्यवस्थित जीवन जीने का विज्ञान बताया।
विशिष्ट अतिथि आयुर्वेद सहयोग समिति के वरिष्ठ सदस्य एवंआयुर्वेद विभाग उदयपुर संभाग के पूर्व अतिरिक्त निदेशक डॉ.बाबूलाल जैन ने आयुर्वेद के औषधीय संसाधन पहाड़ ,जंगलों, आयुर्वेद के मूल साहित्य को ऐतिहासिक विरासत की सूची में सम्मिलित कर उनके संरक्षण व विकास की व्यवस्था पर जोर दिया।
अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के प्रदेश पदाधिकारी डॉ.महेंद्र भटनागर,आयुर्वेद चिकित्सक संघ के पूर्व अध्यक्ष डॉ. गुणवंत सिंह देवड़ा,पूर्व अध्यक्ष डॉ.गोपाल राम शर्मा,डॉ. महेश शर्मा एवं शोद्यार्थी अनुराधा माथुर ने भी अपने विचार रखे ।