संविधान मानवीय अधिकारों और कर्तव्यों का मार्गदर्शक ग्रंथ– राज्यपाल

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जयपुर, 6 नवम्बर। राज्यपाल  कलराज मिश्र ने कहा है कि संविधान मानवीय अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में हमारा मार्गदर्शक ग्रंथ है। उन्होंने संविधान की संस्कृति की चर्चा करते हुए कहा कि इसमें समानता के साथ सभी के लिए समान न्याय की बात है।

राज्यपाल  मिश्र रविवार को होटल हॉलिडे इन में इलाहाबाद  विश्वविद्यालय पुरा छात्र परिषद की राजस्थान शाखा के उद्घाटन कार्यक़म में सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने सभी से  भारतीय संविधान के उदात्त मानवीय मूल्यों का संवाहक बनने का आह्वान किया।

राज्यपाल  मिश्र ने कहा कि संविधान की हमारी संस्कृति के लिए सभी को जागरूक करने के उद्देश्य से राजभवन में संविधान पार्क का निर्माण किया जा रहा है। इसमें संविधान बनाने के लिए हुई पहल से जुड़ी ऐतिहासिक यात्रा के साथ ही संविधान संस्कृति से जुड़े मूर्धन्य लोगों की प्रतिमाएं स्थापित की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि जल्द ही यह संविधान पार्क बन कर तैयार हो जाएगा।

राज्यपाल ने कहा कि देश के इतिहास में पहली बार उन्होंने विधानसभा में अपने अभिभाषण के आरम्भ में संविधान की उद्देशिका और मूल कर्तव्यों के वाचन की परम्परा स्थापित की।इलाहाबाद विश्वविद्यालय के इतिहास के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि ’पूर्व का ऑक्सफोर्ड’ के रूप में विख्यात इस संस्थान का नाम आधुनिक भारत के सबसे पहले विश्वविद्यालयों में लिया जाता है।  उन्होंने कहा कि पं. गोविन्द वल्लभ पन्त, पूर्व राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा, पूर्व प्रधानमंत्री श्री गुलजारी लाल नन्दा, विश्वनाथ प्रताप सिंह सहित देश के प्रमुख महत्वपूर्ण पदों पर कार्य करने वाले विशिष्ट व्यक्तियों ने  इलाहबाद विश्वविद्यालय से ही शिक्षा प्राप्त की।

उन्होंने इलाहाबाद  विश्वविद्यालय पुरा छात्र परिषद के सदस्यों से अपने- अपने क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करते हुए समाज की उन्नति और राष्ट्र के विकास के सहभागी बनने का आह्वान किया ।

राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश  जस्टिस  पंकज मित्थल ने अपने संबोधन में कहा कि हलाहाबाद विश्वविघालय के पूर्व छात्रों के विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान के कारण इस संस्थान का अपना अलग ही गौरव है। उन्होंने संविधान की संस्कृति के प्रसार के लिए राज्यपाल श्री मिश्र द्वारा किए जा रहे प्रयासों का स्वागत करते हुए संविधान पार्कों की स्थापना को उल्लेखनीय पहल बताया।
सिक्किम उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश  जस्टिस एस.एन. भार्गव ने विश्वविद्यालय से जुड़े अपने संस्मरण सभी के साथ साझा किए।

पुलिस महानिदेशक  उमेश मिश्रा ने विश्वविद्यालय की पुरानी गरिमा को पुनःस्थापित करने की आवश्यकता  पर बल दिया।
जगद्गुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर के कुलपति  प्रो. रामसेवक दुबे ने अपने संबोधन में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के 135 वर्ष के गौरवशाली अतीत के बारे में जानकारी दी।

इलाहबाद विश्वविद्यालय पुराछात्र परिषद् के अध्यक्ष  सुरेश कुमार सिंह ने विश्वविद्यालय की गरिमा एवं सम्मान और बढ़ाने के लिए सभी पूर्व छात्र-छात्राओं से प्रयास करने का आह्वान किया।प्रख्यात गायक  अभिजीत घोषाल ने कार्यक्रम में गणेश वन्दना, गंगा स्तुति और शिव ताण्डव स्तोत्र की समधुर प्रस्तुति दी ।

राज्यपाल ने कार्यक्रम में परिषद की वेबसाइट एवं लोगो का लोकार्पण किया। उन्होंने आरम्भ में उपस्थितजन को संविधान की उद्देशिका और मूल कर्तव्यों का वाचन भी करवाया। कार्यक्रम में परिषद के महासचिव  नवीन चन्द्रा, उप सचिव  विवेक मिश्रा, राज्यपाल के प्रमुख विशेषाधिकारी  गोविन्द राम जायसवाल सहित इलाहाबाद विश्वविद्यालय से विगत कई दशकों में शिक्षा प्राप्त कर चुके पूर्व छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।