– प्रदीप कुमार वर्मा
धौलपुर, 5 अप्रेल । एक पुरानी कहावत है कि देर आए पर दुरुस्त आए। धौलपुर-सरमथुरा-करौली-गंगापुर रेल परियोजना पर यह कहावत बिल्कुल सही बैठती है। कई दशकों की देरी से ही सही, लेकिन अब धौलपुर में रेल सुविधाओं के विस्तार की कवायद में जोर पकड़ लिया है। इस कड़ी में नई और प्रभावी कोशिश धौलपुर की नैरोगेज ट्रेन के ब्रॉडगेज में आमान परिवर्तन तथा गंगापुर तक विस्तार की है।
इस कवायद से धौलपुर रियासत की स्टेट ट्रेन का चेहरा बदलेगा और धौलपुर और करौली जिलों के डांग क्षेत्र में बडी रेल लाईन बिछेगी। उच्च रेल प्रशासन की इस कवायद के बाद पूर्वी राजस्थान के धौलपुर एवं करौली जिलों के डांग क्षेत्र को बडी रेल लाईन के रूप में अवागमन का सुविधाजनक जरिया मिलेगा। इसके बाद में धौलपुर से जयपुर के बीच एक नया कारीडोर विकसित होगा और पूर्वी राजस्थान के धौलपुर और करौली जिले राजस्थान की राजधानी जयपुर समेत सूबे के अन्य जिलों से सीधे रेल संपर्क से जुड़ जाएंगे।

धौलपुर की नैरोगेज ट्रेन के इतिहास की बात करें तो ब्रिटिशकाल में धौलपुर से सरमथुरा के बीच में धौलपुर रियासत के महाराजा राम सिंह ने इस रेल परियोजना को 14 दिसंबर वर्ष 1905 में मंजूरी दी थी। लेकिन इस रेल संचालन की औपचारिक शुरुआत फरवरी 1908 में हुई। इस ट्रेन के संचालन का प्रमुख उदेश्य डांग इलाके में आवागमन के साथ साथ प्रसिद्व लाल पत्थर के परिवहन का था।अपने शुरुआती दिनों में इस नैरोगेज को धौलपुर-बाड़ी लाइट रेलवे के नाम से जाना जाता था। इसके बाद वर्ष 1914 में इसका नाम बदलकर धौलपुर स्टेट रेलवे रख दिया गया। अपने शुरूआती दिनों में नैरोगेज का संचालन स्टीम इंजन से होता था। बाद में स्टीम इंजनों को रिटायर करके उनके स्थान पर डीजल लोकोमोटिव प्रचलन में आ गए। बदलते वक्त के साथ कालान्तर में धौलपुर की यह रियासतकालीन नैरोगेज ट्रेन मध्य रेलवे तथा उसके बाद में उत्तर मध्य रेलवे के आगरा-ग्वालियर रेल सैक्शन में स्थित धौलपुर जंक्शन का हिस्सा बनीं।
धौलपुर और करौली जिलों के डांग इलाके को विकास के मानचित्र पर लाने वाली धौलपुर-सरमथुरा-करौली-गंगापुर रेल परियोजना दो चरणों में पूरी होनी है। पहले चरण में धौलपुर से सरमथुरा के बीच में नैरोगेज से ब्राडगेज में आमान परिवर्तन होगा। वहीं, दूसरे चरण में सरमथुरा से करौली होते हुए गंगापुर तक नई बडी रेल लाईन बिछाकर रेल विस्तार की योजना है। इससे धौलपुर जिले का रेल संपर्क करौली और गंगापुर होते हुए पश्चिम रेलवे के जयपुर कोटा रूट से हो जाएगा। वहीं, जयपुर से दक्षिण भारत की ओर जाने के लिए उत्तर मध्य रेलवे के धौलपुर जंक्शन के जरिए एक नया रेल कॉरिडोर बन सकेगा। इस कवायद का लाभ धौलपुर के साथ साथ उत्तर प्रदेश एवं मध्यप्रदेश से कैलादेवी जाने वाले श्रद्वालुओं को मिलेगाऔर श्रद्वालु अब ट्रेन से कैलादेवी दर्शन को जा सकेंगे। इसके साथ ही धौलपुर और करौली के नए टाईगर प्रोजेक्ट तथा अन्य दर्शनीय स्थलों की सैर भी ट्रेन से हो सकेगी।
धौलपुर-सरमथुरा-करोली-गंगापुर रेल परियोजना को वर्ष 2010-11 के बजट में मंजूरी मिली थी। इसके दो साल बाद वर्ष 2012-13 में परियोजना से संबंधित सर्वे का काम पूरा किया गया। रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि 144.6 किलोमीटर लंबाई वाली इस रेल परियोजना की प्रस्तावित लागत 2030.50 करोड़ रुपए है। इस रेल लाईन पर नए और पुराने स्टेशनों को मिलकार करीब बीस रेलवे स्टेशन बनेंगे। इनमें धौलपुर के अलावा नूरपुरा, गढ़ी सांदरा, सूरोठी, मोहारी, रनपुरा, आगई, कांकरेट, बरौली, सरमथुरा, बडागांव, टिटवाई, करौली, कैलादेवी रोड, नया आटा, करगांव तथा गंगापुर सिटी शामिल हैं।
वर्तमान में धौलपुर के नैरोगेज सैक्शन में आधा दर्जन ट्रेनों 52179 धौलपुर- सरमथुरा, 52180 सरमथुरा- धौलपुर 52181 धौलपुर-तांतपुर, 52182 तांतपुर-बाडी, 52183 बाडी सरमथुरा तथा 52184 सरमथुरा- धौलपुर जैसी पेंसेजर ट्रेनों का संचालन होता रहा है। नई रेल परियोजना में कितनी पेंसेजन ट्रेन संचालित होंगीं,यह देखने वाली बात होगी। लेकिन इतना तय है कि इस नए रुट पर माल गाडियों के संचालन के साथ साथ जयपुर से दक्षिण भारत की ओर जाने वाली ट्रेनों को निकाला जाएगा।