डॉ संदीप पुरोहित की किताब मेवाड़ पुनर्खोज का जेएलएफ में हुआ विमोचन

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जयपुर, 19 जनवरी। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल JLF के पहले दिन गुरुवार को वरिष्ठ पत्रकार डॉ संदीप पुरोहित की किताब मेवाड़ पुनर्खोज का विधानसभा अध्यक्ष डॉक्टर सीपी जोशीमेवाड़ राजपरिवार के सदस्य डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़  वरिष्ठ पत्रकार भुवनेश जैनमेवाड़ राजपरिवार की सदस्य निवृत्ति कुमारी सिंह मेवाड़ ने विमोचन किया।

डॉक्टर संदीप पुरोहित ने बताया कि मेवाड़ पुनर्खोज किताब में महलोंमंदिरों के अलावा मेवाड़ के शौर्य और स्वाभिमान के प्रतीक चित्तौड़गढ़  और महाराणा प्रताप दोनों की ही विशेष स्थान दिया गया है। झीलों के साथ पिछोला के घाट और उससे जुड़ी संस्कृति तीज त्यौहारों को बदलते  परिवेश के साथ बताया गया है। गाड़िया लोहार से लेकर गवरी और जमरा बीज के साथ आदिवासी जनजीवन भी मेवाड़ पुनर्खोज का हिस्सा हैं।

विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने कहा कि मेवाड़ के महाराणाओं ने नाथद्वारा में श्रीनाथजी मंदिर की स्थापना से लेकर संरक्षण करने के लिए काफी सहयोग प्रदान किया। विदेशी आक्रांताओं के हमलों के दौर में महाराणा श्रीनाथजी मंदिर के संरक्षण के लिए तत्पर रहे। वहीं मेवाड़ पूर्व राजपरिवार के सदस्य लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि करोड़ों लोग श्रीनाथजी को अपनी आत्मा में बसाए रखते हैं। लोग उन्हें दिल से मानते हैं और पूजते हैं। लेकिन इस बात में भी कोई शक नहीं कि श्रीनाथजी मेवाड़ को अपने दिल में बसाए रखते हैं।

डॉ. जोशी ने कहा कि इतिहासकारों ने भी कई बार कहा कि मेवाड़ ने श्रीनाथजी की रक्षा कीसंरक्षण दिया। जबकि मेवाड़ इतना बड़ा नहीं हैक्योंकि श्रीनाथजी चाहते तो वे मेवाड़ नहींदेश नहींबल्कि दुनिया में जहां चाहते वहां जाते और उनका चक्का वहां फंस जाता। पर यह मेवाड़ का सौभाग्य है कि श्रीनाथ बाबा ने मेवाड़ में विराजने का निर्णय लिया। हम लोगों को श्रीनाथजी की चरण सेवा का सौभाग्य मिला। उन्होंने आखिर में कहा- टूटने और बिखरने का चलन मांग लियाहमने हालात से शीशे का बदन मांग लियाहम भी खड़े थे तकदिर के दरवाजे परलोग दौलत पर गिरेहमने वतन मांग लिया।