नई दिल्ली, 27 अप्रैल दिल्ली के पालम कॉलोनी स्थित ज्ञान सागर पब्लिक स्कूल , राज नगर पार्ट 2 में आध्यात्मिक विश्वविद्यालय द्वारा “श्रीमद्भगवद्गीता” अनुसार एक आध्यात्मिक सेमिनार का आयोजन किया गया । जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में पीबीके अमोल भाई (दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट) द्वारा ” आध्यात्मिकता क्या है ” इस विषय पर विस्तार पूर्वक बताया गया।
उन्होंने बताया कि आज सभी मनुष्य बॉडी कॉन्शियस हो गये हैं। सुबह से लेकर शाम तक सिर्फ देह के भरण पोषण में ही लगे रहते हैं। और इस देह को चलाने वाली जो शक्ति है जिसको सोल अथवा आत्मा कहा जाता है उसको बिल्कुल भूल चुके हैं ।अपने आपको देह अर्थात शरीर समझने से हमारे अंदर काम, क्रोध, लोभ ,मोह ,अहंकार ,इन पांच विकारों अथवा भूतों की प्रवेशता हो जाती है।
उन्होने गीता श्लोक के अध्याय 2/63 “क्रोधाद्भवति संमोहः संमोहात्स्मृतिविभ्रमः।
स्मृतिभ्रंशात बुद्धिनाशो बुद्धिनाशातप्रणश्यति।।” अर्थात यह जो पांच विकार है पूरी तरह से हमारी बुद्धि का नाश कर देते हैं। हमको बर्बाद कर देते हैं तो इनको भगाने के लिए हमको अपनी आत्मा का ध्यान करना है हमारी आत्मा हमारे भृकुटी के मध्य में रहती हैं जिसका प्रमाण है कि आज भी हमारे भारत की स्त्रियां भृकुटी में बिंदी लगाती हैं और पुरुष लोग टीका लगाते हैं ।
उन्होंने परमपिता परमात्मा शिव शंकर का परिचय देते हुए बताया कि भगवान कहते हैं -आत्मा का ध्यान करने से प्रेम ,सुख, शांति, आनंद, पवित्रता फिर से हमारे जीवन में आएगा। ज्योति बिंदु आत्मा ही शरीर का राजा है और इसकी तीन शक्तियां है मन बुद्धि और संस्कार । लेकिन अभी अनेक जन्म लेते लेते हमारी जो आत्मा रूपी राजा है वह कमजोर हो गया है जिससे हमारे शरीर की इंद्रियों पर हमारे मन-बुद्धि का कोई कंट्रोल ही नहीं रहा है श्रीमद्भागवत गीता के अध्याय 16/21 वें श्लोक के अनुसार “त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं नाशनमात्मनः।।”
अर्थात यह काम ,क्रोध और लोभ यह तीनों नरक के द्वार हैं और अत्यंत पाप कराने वाले हैं। यह हमारे सबसे बड़े दुश्मन हैं आज सारी दुनिया इन पांच विकारों में फंसी हुई पड़ी है। लेकिन अगर हम अपनी आत्मा का ध्यान करेंगे तो हमारी आत्मा की दिव्य शक्तियां फिर से हमारे अंदर आने लग जाएगी।
अमोल भाई ने कहा कि चार युगों सतयुग -त्रेता ,द्वापर -कलयुग अंतिम चरण में कलयुग का जब अंतिम समय आ जाता है और सिर्फ 100 साल का कलयुग रह जाता है तो इस अंतिम 100 साल के पीरियड को संगम युग कहा जाता है उस संगम युग में परमात्मा शिव शंकर भोलेनाथ साधारण मनुष्य तन में इस सृष्टि पर आते हैं और आकर के सहज राजयोग और गीता ज्ञान के द्वारा इस पापी कलयुगी सृष्टि का परिवर्तन करके नई सतयुगी सृष्टि बनाकर जाते हैं ।