जयपुर, 31 जुलाई। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि वंश लेखन परंपरा हमारी सभ्यता और संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग है। वंश लेखकों के पास हमारी विरासत के महत्वपूर्ण भंडार है।
गहलोत ने कहा कि वंशावली लेखन की परंपरा भारत में ही है। वंशावलियां हमें अपने गौरवशाली अतीत की जानकारी देती है। वंश लेखक संसाधनों के अभाव में भी लेखन कार्य कर रहे है, यह बड़ी उपलब्धि है। राज्य सरकार वंश लेखकों के हितों के लिए योजनाएं बना रही हैं।
गहलोत ने कहा कि शीघ्र ही जयपुर में वंशावली संरक्षण एवं संवर्द्धन अकादमी का कार्यालय शुरू किया जाएगा। यहां से प्रदेश के वंश लेखकों के उत्थान में कार्य संपादित होंगे।
गहलोत रविवार को हरीशचन्द्र माथुर लोक प्रशासन संस्थान के सभागार में आयोजित वंश लेखक सम्मेलन और प्रतिभा सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे। वंशावली संरक्षण एवं संवर्द्धन अकादमी द्वारा आयोजित समारोह में उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का वंश लेखकों के साथ हमेशा जुड़ाव रहेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस तरह राज्य सरकार द्वारा ऐतिहासिक अभिलेखों का डिजिटलाइजेशन किया गया है, उसी तरह वंश लेखक लेखन में नवाचार अपनाएं। अकादमी द्वारा परम्परागत वंशालियों के संरक्षण और संधारण के लिए सूचना एवं प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जाए। उन्होंने कहा कि वंश लेखक शब्द के साथ स्वर, संगीत, साहित्य के सोरठा, दोहा, कवित्त, चौपाई, छप्पय आदि छंद की जानकारी रखने वाला होता है। यह खजना विभिन्न वंश लेखकों के पास है। वंश लेखक पुराणों की कथा, लोक कथा, वंशावली लेखन, वंशावली वाचन और नई बहियों का निर्माण करता है।
गहलोत ने कहा कि बीकानेर स्थित राजस्थान राज्य अभिलेखागार देश का पहला डिजिटल अभिलेखागार है। यहां पूर्व रियासतों के 1.50 करोड़ से अधिक ऐतिहासिक और प्रशासनिक अभिलेखों के डिजिटाइजेशन का कार्य पूर्ण कर वेबसाइट के जरिए ऑनलाइन कर दिया गया है। राज्य सरकार द्वारा अभी तक 34 लाख ऐतिहासिक अभिलेखों की माइक्रोफिल्म बनाई जा चुकी है और 25 लाख अभिलेखों की शीघ्र बनाई जाएगी।