जयपुर 26 अक्टूबर । जगतपुरा स्थित श्री कृष्ण बलराम मंदिर में भव्य गोवर्धन पूजा व अन्नकूट महोत्सव मनाया गया | मंदिर के वृन्दावन उद्यान में गोवर्धन पूजा महोत्सव के अवसर पर विशाल गोवर्धन पर्वत बनाया गया एवं भव्य रूप से सजाया गया एवं छप्पन भोग लगाया गया ।
भगवान की गोवर्धन की लीला की झांकी सजाई गई, गो पूजा के लिए मंदिर की गोशाला की गायों को सजाया, संध्या में हरिनाम संकीर्तन के साथ दीपोत्सव एवं पालकी उत्सव मनाया गया । पौराणिक प्रथा के अनुसार विशेष अन्नकूट का भी आयोजन किया गया जहां मंदिर में आये सभी भक्तों ने अन्नकूट प्रशादम लिया ।
जब सर्वोच्च भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन के निवासियों को इंद्र-यज्ञ की तैयारी करते देखा, तो उन्होंने सुझाव दिया कि उन्हें इंद्र की पूजा को त्याग देना चाहिए और इसके बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए। यह पता चलने पर, इंद्र क्रोधित हो गए और वृंदावन पर विनाशकारी वर्षा भेज दी। कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली से गोवर्धन पर्वत को उठाया और इसने वृंदावन के सभी निवासियों को आश्रय दिया। इंद्र अपने अपराध के प्रति सचेत हो गए और कृष्ण से क्षमा की भीख मांगी। इस प्रकार भगवान ने स्थापित किया कि एक भक्त जो भगवान को समर्पित है और भक्ति सेवा में लगा हुआ है, वह सभी दायित्वों से मुक्त है और उसे भौतिक पक्ष के लिए किसी भी देवता की पूजा करने की आवश्यकता नहीं है।
हरे कृष्ण मूवमेंट जयपुर के अध्यक्ष अमितासन दास ने बताया – दिवाली के त्योहार के अगले दिन गोवर्धन की पूजा की परंपरा द्वापर काल से चली आ रही है। आज यह त्यौहार पूरे विश्व में धूमधाम से मनाया जाता है | भगवान कृष्ण ने इंद्र के प्रकोप से हुई भारी वर्षा से ब्रजवासियों को उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा कर उनकी रक्षा की थी। वही भगवान श्री कृष्ण इस कलियुग में हम सबकी रक्षा करने के लिए और हमारा उद्धार करने के लिए उनके नाम के रूप में अवतरित हुए हैं। अ
भगवान के पवित्र नाम हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे को प्रतिदिन कम से कम 108 बार जाप करें।जिस प्रकार दीपावली से पहले आप सभी ने घर की सफाई की , उसी प्रकार ये मंत्र हमारे हृदय के अंदर की सफाई करने में हमारी सहायता करेगा।