मैं तो मेरे रास्ते पर चल रहा हूं: मुख्यमंत्री

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नई दिल्ली, 18 अक्टूबर ।मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज मीडिया से बातचीत की । मीडिया ने मुख्यमंत्री से क्या सवाल किए और गहलोत ने क्या जवाब दिए पढिए ।
सवाल: यात्रा कर रहे हैं राहुल गांधी, आप कैसे देखते हैं?
जवाब: देखिये भारत जोड़ो यात्रा ने पूरे देश में मैसेज दे दिया है। जिस प्रकार राहुल जी का जो है प्यार-मोहब्बत-भाईचारा-सद्भावना ये मैसेज पूरे मुल्क में जा रहा है क्योंकि अभी तनाव है, अशांति का माहौल है, हिंसा का माहौल है, उस माहौल में राहुल जी का कारवां चल पड़ा है और 25 किलोमीटर पर डे चलना एक बहुत बड़ी बात है और लगातार, जज़्बा बना हुआ है मैं मिलकर आया वहां सबसे जो चल रहे हैं लोग बहुत ही खुश हैं, तो एक प्रकार से राहुल गांधी को आप देखेंगे कि राष्ट्रीय नेता और फिर जननायक, तो जननायक के रूप में उभरकर आएंगे क्योंकि वो व्यक्ति जो है आप देख रहे हो पूरे परिवार को देख रहे हो, जिस प्रकार सोनिया जी ने 22 साल तक कांग्रेस अध्यक्ष रहीं वो लगभग और प्रधानमंत्री पद स्वीकार नहीं किया, तो इनके पूरे परिवार को जो है 30 साल से ये परिवार कोई भी पद पर नहीं आया, न प्रधानमंत्री पद पर, न केंद्रीय मंत्री बने, न कोई पद लिया, खाली संगठन की जिम्मेदारी संभाले हुए थे, वो भी इस बार इन्होंने छोड़ दी है, उसका दुःख तो हम सबको ही है, अगर राहुल जी वापस संभाल लेते, मैंने भी रिक्वेस्ट की थी उनसे, तो एक नया मैसेज जाता क्योंकि अभी चुनौतियां हमारे सामने हैं बहुत भयंकर चुनौतियां हैं, जिस प्रकार से सरकार धज्जियां उड़ा रही है संविधान की, आलोचना को सहन नहीं कर रही है, असहमति को सहन नहीं कर रही है, जबकि असहमति-आलोचनाएं तो लोकतंत्र के आभूषण होते हैं कि भई पक्ष है तो विपक्ष है, इसी को तो डेमोक्रेसी कहते हैं, तो उसको ये लोग जिस रूप में स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं, तो एक राहुल गांधी ही अकेले 8 साल से देख रहे हो आप कि किस रूप में मुकाबला कर रहे हैं मोदी जी की नीतियों का, उनके कार्यक्रमों का और सब विपक्ष वाले भी आजकल साथ देने लग गए हैं राहुल गांधी का, एनजीओ तक साथ देने लग गए हैं, तो एक माहौल बनने लगा है देश के अंदर और नेशनल पार्टी है तो कांग्रेस पार्टी है, सिद्ध भी हो गया है, जो चुनाव हुए हैं कांग्रेस के, चुनाव ने ये बता दिया है कि कांग्रेस कहां खड़ी है, कांग्रेस मुक्त भारत की बात करते थे ये मोदी जी और पूरे लोग, अब इनके सबके मुंह पर ताले लग जाएंगे, गांव-गांव में कांग्रेस है, किस प्रकार से डेलिगेट्स बने हैं, किस प्रकार से ब्लॉक पर, जिले पर, स्टेट लेवल पर गतिविधियां शुरू हुई हैं और किस प्रकार से निष्पक्ष चुनाव हुआ है राष्ट्रीय अध्यक्ष का, बीजेपी में चुनाव कभी सुनते हैं हम लोग कभी? यहां तो सोनिया गांधी जी के सामने भी उम्मीदवार खड़े हुए थे, सीताराम केसरी जी के सामने भी उम्मीदवार खड़े हुए थे और बीजेपी के कब तो बन गए गडकरी जी, कब बन गए राजनाथ सिंह जी, कब बन गए अमित शाह जी गए और कब नड्डा साहब बन गए, तो ये उनकी स्थिति है और वो हमें कहते हैं कि कांग्रेस मुक्त भारत बनाएंगे? तो ये अपनी मैं समझता हूं कि नेशनल पार्टी के रूप में कांग्रेस की हलचल सब जगह हुई है, कांग्रेस कार्यकर्ताओं में एक नया कॉन्फिडेंस पैदा हुआ है और खड़गे साहब जो हैं या शशि थरूर जी हैं, 2 ही उम्मीदवार हैं, कल रिजल्ट आ जाएगा उनका, उसके बाद में जो सोनिया गांधी जी का अनुभव है 22 साल का अध्यक्ष पद का और राहुल जी का जो अनुभव है फील्ड का और जब यात्रा पूरी हो जाएगी तो पूरे देश का जो एक ऑरा होता है, जैसे पंडित नेहरू ने डिस्कवरी ऑफ इंडिया लिखी थी, तो एक जब आप गांव-गांव जाते हो, लोगों से मिलते हो, तो वहां सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, ज्योग्राफिक इस सबकी जानकारी मिलती है आपको, मैं समझता हूं कि उनका जो ऑरा बनेगा और अनुभव होगा वो काम आएगा खड़गे साहब के काम आएगा, हम सबके काम आएगा, मैं उम्मीद करता हूं कि कांग्रेस 2024 की जो तैयारी है, राज्यों में चुनाव तो पहले हो जाएंगे 7-8 राज्यों के अंदर, उसकी तैयारी तो चल रही है हमारी अभी से ही, मैं अभी गुजरात से ही आ रहा हूं और वहां भी शानदार मुकाबला है, हर वीक जाना पड़ता है मोदी जी को, उससे आप समझ जाइए कि कितने घबराए हुए मोदी जी हैं, अमित शाह जी हैं, कैंप किए हुए वहां बैठे हैं, रोज प्रोग्राम हो रहे हैं उनके, हर वीक में जा रहे हैं, यूपी चुनाव जीतने के जस्ट अगले दिन चले गए, तो ये तो इनकी स्थिति है, तो वहां भी इनकी एंटी-इन्कम्बेंसी बहुत भयंकर है गुजरात के अंदर और कुछ भी हो सकता है वहां पर, आप पार्टी के नेता जो हैं वो असत्य बोलने में माहिर हैं, उन्होंने मीडिया को कैप्चर कर रखा है, पता नहीं क्या उन्होंने किया होगा, वो तो आप जानो, हमें पता नहीं, पर लगता है कि बीजेपी ने दबाव दिया हुआ है मीडिया पर और इन्होंने कैप्चर कर रखा हैं और जिस प्रकार इलेक्टोरल बॉन्ड आए हैं, ये आजादी के बाद का सबसे बड़ा स्कैंडल है देश के अंदर, एकतरफा पैसा जा रहा है बीजेपी के पास में, तो बाकी पार्टियां जब बराबरी का फील्ड नहीं होगा जो डेमोक्रेसी में होना जरूरी है, वो नहीं हो रहा है, एकतरफा ही साधन जा रहे हैं इनके पास में, लुटा रहे हैं ये लोग और सरकारें टॉपल कर रहे हैं ये लोग, उस पैसे से ही तो टॉपल कर रहे हैं, पैसा कहां से आ रहा है फिर इनके पास में? कर्नाटक के बाद में मध्यप्रदेश, मध्यप्रदेश के बाद में महाराष्ट्र और हमें ऊपर वाले ने बचा दिया, सोनिया गांधी जी का, राहुल गांधी जी का आशीर्वाद था इसलिए सरकार बच गई उस वक्त में, पूरा कुनबा हमारा एक रहा, वरना सरकार चली जाती, तो इसलिए जो हालात देश में हैं वो बहुत गंभीर हैं, चिंताजनक स्थिति है, अब नहीं समझने वालों के लिए तो उसका हमारे पास इलाज नहीं है, समझदार समझ गए हैं कि धर्म और जाति के नाम पर एक हद तक तो सब ठीक है, लक्ष्मण रेखा पार करोगे, तो बाद में आपको जो आज खुश हो रहे हैं वो भी फिर समझ जाएंगे कि क्या हो रहा है देश के अंदर, तकलीफ उनको भी आने वाली है, तकलीफ सबको आने वाली है, इतने बड़े मुल्क में आप सब अनेकता में एकता वाला मुल्क है, जब तक साथ लेकर नहीं चलोगे तब तक काम चलने वाला नहीं है, एकता-अखंडता के लिए तो इंदिरा जी ने अपनी जान दे दी थी, राजीव गांधी शहीद हो गए थे, तो इस कांग्रेस ने तो आजादी के पहले भी 10-10 12-12 साल तक पंडित नेहरू जेलों में बंद रहे हैं, ये क्यों भूल जाते हैं लोगबाग, उनका नाम नहीं ले रहे हैं, अमृत महोत्सव मना रहे हैं मोदी जी और एनडीए गवर्नमेंट और पंडित जवाहर लाल नेहरू प्रथम प्रधानमंत्री रहे, 17 साल तक रहे, सबकुछ उन्होंने आधारभूत ढांचा तैयार किया और उनका नाम ही गायब कर दिया जानबूझकर, तो ये देश स्वीकार नहीं करेगा इन बातों को, ठीक है, इनको 2 बार मौका मिल गया इसलिए ज्यादा इनको घमंड-अहम आ गया है और घमंड-अहम जनता कब तोड़ देती है पता ही नहीं लगता है, ये हमने अनुभव किया है पहले भी, इसलिए मैं समझता हूं कि हम सबकी जिम्मेदारी बनती है देशवासियों की कि सच्चाई का साथ दें, सच्चाई हमारे पक्ष के अंदर है, अंतिम विजय सच्चाई की होगी।

सवाल- एक ये भी बात अब सामने आ रही है कि आपको राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से रोकने के लिए बीजेपी तरफ से फंडिंग…?
जवाब- मैं इन बातों के बारे में कुछ नहीं बोलना चाहता कि किसने क्या किया मुझे कुछ पता नहीं है, मैं तो मेरे रास्ते पर चल रहा हूं, जो जिम्मेदारी मुझे सौंप रखी है पार्टी ने मैं निभा रहा हूं बस, उसके अलावा मैं कुछ नहीं कर रहा हूं बस और निभा रहा हूं ईमानदारी के साथ में, निष्ठा के साथ में, प्रतिबद्धता के साथ में समर्पित होकर निभा रहा हूं, मुझे कहा कि आप गुजरात में कुछ काम देखना, वो भी मैं देख रहा हूं, तो मैं तो चूक नहीं रहा हूं और मुझे काम करने का शौक भी है, मैं जो काम कर रहा हूं प्रदेश के अंदर एज ए मुख्यमंत्री भी, मैं हर काम बहुत ही रुचि से करता हूं, ये मेरी फितरत के अंदर है, मुझे मजा आता है काम करने का, फैसले करने का गरीब के लिए, दलित के लिए, पिछड़ों के लिए, आम आदमी के लिए, मुझे बहुत अच्छा लगता है, जो मैं कर सकता हूं, सोशल सिक्योरिटी की हमने थीम बना रखी है, तो आप देखेंगे कि शिक्षा में, स्वास्थ्य में, सब जगह मैं सोशल सिक्योरिटी को अडॉप्ट किए हुए हूं, तो मुझे तो धुन लगी हुई है मैं मेरे काम करूंगा।

सवाल- इसी वजह से जिस दिन मीटिंग हुई, कांग्रेस के ज्यादातर कार्यकर्ता ये मान रहे थे कि अगर अशोक गहलोत आते तो रिफॉर्म्स होते, बदलाव होते, उत्साह होता, ऊर्जा की कमी होगी अब कल के बाद में?
जवाब- देखिए मैंने कल ये बात कही है कि अनुभव का कोई विकल्प नहीं है, मल्लिकार्जुन खड़गे साहब हैं उनका अलग अनुभव है पुराना, नौजवान आए हैं अपने ये शशि थरूर जी आए हैं, इनका अलग अंतर्राष्ट्रीय अनुभव है, यूएन के अंदर भी इलेक्शन लड़े थे ये, अच्छा इलेक्शन लड़े थे ये, मैं इनको जानता नहीं था पर जो इन्होंने उस वक्त में ऑरा बनाया अपना विश्वव्यापी, वो सब जानते हैं, एप्रिशिएट करते हैं, अभी मुझसे मिलने आए थे तब भी मेरी चर्चा उस बारे में हुई थी, तो मैं कहना चाहूंगा कि दोनों उम्मीदवार हैं, अनुभव का कोई विकल्प नहीं होता है, कभी नहीं होता है, नौजवान है तो वो दौड़-भाग ज्यादा कर सकते हैं, अनुभव का विकल्प नहीं होता है, तो मैं समझता हूं कि खड़गे साहब अगर चुनाव जीतते हैं, अनुभव काम आएगा, ये चुनाव जीतने का मौका इनको मिलता है खड़गे साहब इनको सहयोग करेंगे, खड़गे साहब जीतेंगे तो शशि थरूर जी सहयोग करेंगे, तो दोनों मिलकर ही तो ये तो कांग्रेस का चुनाव है, इसमें जीत भी किसकी होगी, इसमें जीत कांग्रेस की होगी, किसी एक व्यक्ति की नहीं होगी, कांग्रेस की जीत होगी, कांग्रेस ने चुनाव करवाए उसकी जीत होगी, मैं समझता हूं कि सोनिया जी ने या राहुल जी ने कहा कि हमारे परिवार का कोई व्यक्ति नहीं खड़ा होगा, ये कहने की हिम्मत चाहिए, गांव में सरपंच का पद भी कोई नहीं छोड़ता है, इन्होंने प्रधानमंत्री पद छोड़ दिया, कांग्रेस अध्यक्ष बनना स्वीकार नहीं किया और देश सेवा में लगे हुए हैं, मैं तो इनको सलाम करता हूं।