जयपुर, 19 नवम्बर । दो दिवसीय जल मेला 2022 का पहला संस्करण आज से शुरू हुआ जिसमें जयपुरवासियों ने ‘पानी’ के प्रति अपने प्रेम को दर्शाया ।अपनी तरह के अनूठे मेले में प्रवेश निःशुल्क हैं ।
विरासत जयपुर फाउंडेशन, मैंगो सूफले प्रोडक्शंस और क्रिएटिव कम्यून ग्लोबल के सहयोग से आयोजित, जल मेला ने कलाकारों, शोध विद्वानों, छात्रों के विविध समूह की मेजबानी की – जो सभी कृष्ण निवास, टीजीएच कैफे, सी स्कीम में जल संरक्षण से जुड़े विचारों पर चर्चा करने के लिए एकजुट हुए ।
संस्थापक लोकेश घीया, हर्षिल पारेख और नंदिता के अनुसार इसकी स्थापना का मकसद बताते हुए कहा कि”एक रात जल महल का दौरा करते समय वे विरासत संस्थानों के विचार से प्रभावित हुए जो केवल पानी के लिए समर्पित थे। इसलिए पानी को समर्पित एक अनूठे मेले को आयोजित करने का फैसला किया। लोकेश कहते हैं कि हम यह देखने के लिए उत्साहित और रोमांचित हैं कि हमारी यात्रा कैसे आगे बढ़ती है और उम्मीद है कि अधिक से अधिक लोग हमारी पहल में शामिल होने के लिए प्रेरित होंगे।”
शनिवार की सुबह से, आगंतुकों ने उत्सवों के इस पर्व का आनंद लिया जिसमें कथाएं, शोध प्रस्तुतियां, बातचीत प्रदर्शन कला, पटकथाएं और बच्चों के लिए मजेदार गतिविधियां शामिल थीं। साथ ही रतिका खंडेलवाल ने सभी को अवगत कराया कि किस तरह से वे अपने खुद के बायो-क्लीनर कैसे बना सकते हैं। पूरे दिन चलने वाली कला स्थापना और विशेष रूप से फोटो प्रदर्शनी ने आगंतुकों की दिलचस्पी बढ़ायी ।
शाम का समापन पिता- पुत्र की जोड़ी पंडित चंद्र मोहन भट्ट और अंकित भट्ट की सितार पर जुगलबंदी और शास्त्रीय गायक पंडित हनुमान सहाय की मोहक धुनों के साथ हुआ। जैसा कि कहा जाता है, “यदि पृथ्वी पर कहीं जादू है, तो यह पानी में ही निहित है।”