नई दिल्ली 4 अप्रैल । आध्यात्मिक विश्वविद्यालय की तरफ से पंपोष एनक्लेव ग्रेटर कैलाश.1ए में एक आध्यात्मिक सेमिनार का आयोजन किया गया।
मुख्य वक्ता पीबीके अमोल भाई ;एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्टद्ध ने श्रीमद भगवद्गीता श्लोकों के अनुसार सनातन धर्म के धर्मपिता कौन हैं ? । सेमिनार के दौरान उन्होंने बताया इस सृष्टि पर सनातन धर्म ही प्राचीन ते प्राचीन धर्म है तो उसका धर्म पिता भी प्राचीन ही होना चाहिए। वह इस मनुष्य सृष्टि वृक्ष का पुरातन सनातन बीज आदि पुरुष परमपिता परमात्मा शिव शंकर भोलेनाथ हैं जिनके लिए गीता में कहा गया है । त्वमादिदेवः पुरुषः पुराण स्त्वमस्य विश्वस्य परं निधानम्।11 ध्38 ।।
उन्होने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता अनुसार भगवान शिव कहते हैं कलयुग में जब अनेक धर्मों की कुरीतियां और उनकी धारणाएं सनातन धर्म को पूरा दबा लेती हैं और कलयुग अंत तक सनातन धर्म प्रायरूलोप हो जाता हैए तब भगवान किसी साधारण मनुष्य तन में दिव्य अलौकिक अवतरण लेकर सत्य सनातन धर्म की धारणाओं और मान्यताओं को पुनरूस्थापन करते हैं। जगत पिता शिव शंकर भोलेनाथ और जगत माता पार्वती ही सनातन धर्म के संरक्षक हैं।
उन्होने कहा कि धर्मपिता हैं जिन्हें सभी धर्मों में अलग.अलग नामों से पुकारा जाता है जैसे मुस्लिम धर्म में उन्हें आदम और हव्वा ए क्रिश्चियन धर्म में उन्हें एडम और ईवए जैनियों में आदिनाथ और आदिनाथिनी कहते हैं। भगवान कहते हैं कि जब सभी मनुष्य आत्माएं अपनी आत्मा के दिव्य शक्तियों को भूल जाते हैं और शरीर को ही सब कुछ समझ बैठते हैं । शरीर के इंद्रियों का ही सुख भोगने में बुद्धि लगी रहती है तब सारी दुनिया में अज्ञान अंधकार रुपी भौतिकवाद की रात्रि फैल जाती है। इसी भौतिकवादी अज्ञान अंधकार की रात्रि जिसमें परमपिता परमात्मा शिव शंकर का दिव्य अलौकिक अवतरण होता है उसकी यादगार में ही हर वर्ष महाशिवरात्री मनाई जाती है।
उन्होने कहा कि.नई बीमारियां उत्पन्न हो रही है जिनका इलाज भी संभव नहीं है। अत्याचारए पापाचार तथा भ्रष्टाचार की अतिशयोक्ति हो रही है। कलयुगान्त में तीन मुख्य विकार काम, क्रोध और लोभ मनुष्य आत्माओं को पूरी तरह से अपनी चपेट में ले चुके हैं। जो मनुष्य के सबसे बड़े शत्रु हैं। कलयुग अपने अंतिम चरण में है। अतः जिसका अंत निकट है।
उन्होंने बताया कि भगवान ष्कालोअस्मिष् बनकर इस सृष्टि पर अंतिम समय में अवतरण लेते हैं श्रीमद्भगवद्गीता अनुसार अध्याय 11ध्32 में बोला गया ष्कालोअस्मिष् मैं कालों का काल महाकाल हूं और इस समय सारे संसार का विनाश करने के लिए आया हुआ हूं। परमपिता परमात्मा का दिव्य अलौकिक कर्तव्य आध्यात्मिक विश्वविद्यालय द्वारा इस समय प्रैक्टिकल में चल रहा है।सेमीनार का आयोजन 2 अप्रैल को हुआ था ।