Jaipur जयपुर, 24 जुलाई । बांसुरी के मसीहा पन्ना लाल घोस का जन्म आज ही के दिन यानि 24 जुलाई 1911 को पूर्वी बंगाल के भूमि बारीसाल गांव में हुआ । पन्ना लाल घोस का पूरा नाम अमल ज्योति घोस था लेकिन उनकी पहचान पंडित पन्ना लाल घोस के नाम से थी ।
पन्नाबाबू शास्त्रीय बांसुरी के जन्मदाता हैं और उन्हें बांसुरी का मसीहा कहना समीचीन होगा। जिन्हें बांसुरी को लोक वाद्य से शास्त्रीय वाद्य यंत्र के रूप में स्थापित करने का श्रेय जाता हैं।
पंडित पन्नालाल घोष बांसुरी के मसीहा नयी बांसुरी के जन्मदाता और भारतीय शास्त्रीय संगीत का युगपुरुष जिसने लोक वाद्य बाँसुरी को शास्त्रीय के रंग में ढालकर शास्त्रीय वाद्य यंत्र बना दिया । उनके अथक प्रयासों का ही परिणाम था कि 1930 में उनका पहला एलपी जारी हुआ। आने वाली सदियां पन्ना बाबू के काम को कभी भूल नहीं सकती हैं।
पन्ना लाल घोस का प्रयास है कि कृष्ण कन्हैया की बांसुरी का आज के फ्यूजन संगीत में भी अहम स्थान है। बांसुरी को शास्त्रीय वाद्य के रूप में लोगों के दिलों में बसाने का काम पन्ना बाबू ने शुरू किया था और पंडित हरिप्रसाद चौरसिया जैसे बांसुरी वादकों ने इस वाद्य यंत्र को विदेशों में लोकप्रिय कर दिया। पन्नालाल ने कई फ़िल्मों में भी बांसुरी बजाई थी, जो आज भी अद्वितीय है। जिनमें मुग़ले आज़म, बसंत बहार, बसंत, दुहाई, अंजान और आंदोलन जैसी कई प्रसिद्ध फ़िल्में प्रमुख हैं जिसके संगीत के साथ पंडित पन्नालाल घोष का नाम जुड़ा रहा।