शिवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व

Spiritual- Significance -of -Shivratri-jaipur-rajasthan-india

भारत के लोग भगवान शिव को मुक्तेश्वर और पाप कटेश्वर मानते हैं। भारत में मान्यता है कि भगवान शिव आशुतोष हैं जल्दी और सहज ही प्रसन्न होने वाले हैं और अवढर दानी भी हैं इसी भावना को लेकर शिव पर जल चढ़ाते हैं और उनकी पूजा करते हैं| परंतु प्रश्न उठता है कि जीवन भर भगवान शिव की आराधना करते रहने पर तथा हर वर्ष श्रद्धा पूर्वक शिवरात्रि पर जागरण व्रत इत्यादि करने पर भी मनुष्य के पाप क्यों नहीं कटते |सदा काल की सच्ची सुख शांति क्यों प्राप्त नहीं होती? शिवरात्रि का महत्व क्या है? और रात्रि का महाशिव के साथ क्या संबंध है?

काम क्रोध लोभ मोह अहंकार रूपी विकारों ने मनुष्य को अपनी गिरफ्त में ले रखा है, यही है रात्रि अर्थात अज्ञान की रात्रि, यही अज्ञान अंधकार की रात्रि सभी मनुष्यों के लिए कल्याणकारी साबित हो जाती है कैसे?गीता के कथन अनुसार यदा यदा ही धर्मस्य…..4/7 अर्थात “जब जब होय धर्म की ग्लानि बड़े असुर अधम अभिमानी तब तब लेत प्रभु मानुष शरीरा||

महाशिवरात्रि का त्यौहार मनुष्य ईश्वर के अवतरण की खुशी में मनाते हैं परंतु उस ईश्वर को जानते नहीं हैं उसका तो तुरिया जन्म है… हम मनुष्यों की तरह वो जन्म नहीं लेता उसका जन्म और कर्म दिव्य है जिसके लिए गीता में आया है प्रवेष्टुम 11/54अर्थात मैं प्रवेश करने योग्य हूं। अर्थात दिव्य जन्म लेता हूं। “ज्ञान सूर्य प्रगटा अज्ञान अंधेर विनाश”अर्थात जब काम क्रोध लोभ मोह अहंकार रूपी विकारों की गिरफ्त में मनुष्य फंस जाते हैं, जब मनुष्य अधर्म को ही धर्म समझने लगते हैं तब भगवान इस सृष्टि पर आकर हमें ज्ञान की रोशनी देकर जगाता है जिसकी यादगार में शिवरात्रि के दिन जागरण करते हैं अर्थात अज्ञान की नींद से जागना |

इस दिन खास तीन पत्तों वाले बेलपत्र का महत्व होता है जिसे भगवान शिव पर चढ़ाया जाता है बेलपत्र की तीन पत्तियां त्रिमूर्ति शिव के तीन कार्यकर्ता ब्रह्मा, विष्णु और शंकर की यादगार है | इन तीन मूर्तियों के द्वारा भगवान शिव प्रैक्टिकल में विश्व कल्याण हेतु कार्य करते हैं। अर्थात ब्रह्मा द्वारा स्थापना शंकर द्वारा पुरानी आसुरी दुनिया का विनाश विष्णु द्वारा नई दुनिया की पालना

गीता में कहा है…त्वम आदिदेव पुरुष :पुराण: 11/38 वह मात्र हिंदू धर्म से ही संबंधित नहीं है बल्कि हर धर्म में उनका गायन और मान्यता है, मुसलमानों में आदम, क्रिश्चनस में एडम, और जैनियों में आदिनाथ के रूप में जाना जाता है। शिव शंकर भोलेनाथ की अवतरण की यादगार में ही आज हम सब शिवरात्रि मनाते हैं शिव शंकर भोलेनाथ के अवतरण को जानने के लिए संपर्क करें।
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