चेन्नई, 18 जुलाई । सनरेफ (प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग एवं ऊर्जा वित्त) हाउसिंग इंडिया कार्यक्रम ने इस आयोजन में प्रमुख हितधारकों के लिए हरित किफायती आवास के महत्व को उजागर करने विगत दिनों अपना चौथा क्षेत्रीय प्रचार कार्यक्रम आयोजित किया है।
राष्ट्रीय आवास बैंक (रा.आ.बैंक) के साथ साझेदारी में फ्रांसीसी विकास एजेंसी (एएफडी) द्वारा सनरेफ हाउसिंग इंडिया कार्यक्रम को जुलाई 2017 में आरंभ किया गया था एवं यह परियोजना यूरोपीय संघ (ईयू) द्वारा सह-वित्त पोषित है।चेन्नईमें आयोजित इस कार्यक्रम में दक्षिणी राज्यों के बैंकों, आवास वित्त कंपनियों (आ.वि.कं.), रियल एस्टेट विकासकों, सरकारी एजेंसियों, हरित निर्माण विशेषज्ञ, आर्किटेक्ट्स और हरित सामग्री उत्पादकों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
रा.आ.बैंकके प्रबंध निदेशक, एस.के. होता ने इस मौके पर कहा कि “राष्ट्रीय आवास बैंक, अपनेस्थापनाकाल से, विभिन्न पुनर्वित्त एवं प्रत्यक्ष वित्त गतिविधियों के माध्यम से किफायती आवास वित्त की आपूर्ति को सुविधाजनक बनाने हेतु कार्य कर रहा है।चूंकि किफायती वित्त की उपलब्धता वित्तीय प्रणाली की पहुँच को प्रदर्शित करती है, रा.आ.बैंक ने अपनी विविध तथा सुलभ वित्तीय सेवाओं के माध्यम से हमेशा आवास क्षेत्र के विकास का समर्थन किया है।
उन्होने ईयू और एएफडी द्वारा समर्थित और बैंक द्वारा कार्यान्वित सनरेफ भारत कार्यक्रम एक ऐसा कार्यक्रम है जो सार्वजनिक एवं निजी प्रवर्तकोंकी लघुतथा मध्यम आकार की परियोजनाओं के वित्तपोषण हेतु उन्हें सशक्त बनाने के लिए स्थानीय वित्तीय संस्थानों का समर्थन करके देश में हरित किफायती आवास को बढ़ावा देता है।यह कार्यक्रम हरित आवास के संबंध में जागरूकता का सृजन करने पर भी केंद्रित है।उन्होंने आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए हमारीधरा को एक बेहतर स्थान बनाने हेतु हरित आवास की ओर बढ़ने की आवश्यकता पर बल दिया है।
”कार्बन उत्सर्जन को कम करने और सततता को प्राप्त करने में हरित भवन के महत्व के संबंध में बात करते हुए, सुश्री कमिला क्रिस्टेंसन राय, काउंसलर, भारत में यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल ने कहा,“यूरोपीय संघ, एएफडी एवंरा.आ.बैंक ने आवास उद्योग में नवाचार को बढ़ावा देने हेतु भागीदारी की है।सनरेफसतत और किफायती आवास पर ध्यान केंद्रित करके एवं देश में हरित आवास अवधारणा को बढ़ावा देकर साझेदारी में योगदान दे रहा है।इस विचार का उद्देश्य यह है कि स्थानीय संदर्भ में एक बेहतर एवं उपयुक्त समाधान की तलाश की जा सके।”