रघुनाथ को हॄदय धर हनुमान जी का लंका में प्रवेश

जयपुर, 29 अगस्त। राजभवन में चल रही राम कथा के तीसरे दिन सोमवार को संत  विजय कौशल जी महाराज ने राम भक्ति से जुड़ी महिमा का  गान  किया। उन्होंने हनुमान जी द्वारा समुद्र लांघ कर लंका पहुंचने की कथा-उपकथाओं का रोचक वर्णन किया।

राज्यपाल  कलराज मिश्र ने पूर्व में विधिवत भगवान श्री राम की छवि और रामचरितमानस की विधिवत पूजा की। उन्होंने संत श्री विजय कौशल महाराज का भी अभिनन्दन, पूजन किया।

संत विजय कौशल महाराज ने राम कथा के अंतर्गत मन की दुर्बलताओं को दूर कर जीवन को संस्कारित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि जीवन में ईर्ष्या को मारना जरूरी है। इससे संचित तप समाप्त हो जाते हैं। चैतन्य  महाप्रभु के वचन सुनाते हुए सन्त श्री विजय कौशल महाराज ने कहा कि व्यक्ति को हरि घास की तरह होना चाहिए। आप उसके ऊपर से गुजरते हैं तो वह आपके भार से दब जाती है, झुक जाती और फिर से खड़ी हो जाती है।  विनम्रता से सब काज हो जाते हैं।सोमवार को राम भक्ति की  विरल चर्चा उन्होंने की। उन्होंने कहा कि भक्त हमेशा चिरंजीवी हैं। उन पर काल का वश नहीं होता। भक्त प्रकट होते हैं और अंतर्धान होते हैं।

उन्होंने कहा कि भगवद् कृपा हो तो सब काज अपने आप ही सम्भव हो जाते हैं।  राम कथा में उन्होंने हनुमान  की भक्ति और  समुद्र लांघते सुरसा द्वारा उन्हें रोके जाने तथा हनुमान द्वारा लीला करने के प्रसंग सुनाते हुए उनके अणु रूप धरने, सुरसा के मुँह में जाकर वापस लौटकर उससे ही आशीष ले आगे बढ़ने के  प्रसंगों की  रोचक व्याख्या की।

सोमवार को हनुमान जी के भगवान श्री रघुनाथ को हॄदय में स्मरण कर लंका में प्रवेश करने और बाधाओं को पार करने की कथा का  रसास्वादन कराया। राम कथा तब संगीतमय हो उठी जब पांडाल इन समूह स्वरों से गूंज उठा-
प्रबिसि नगर कीजे सब काजा।
हृदयँ राखि कोसलपुर राजा॥

पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती ममता भूपेश ,  BJPसांसद  घनश्याम तिवाड़ी,  रामचरण बोहरा, पूर्व मंत्री कालीचरण सराफ सहित बड़ी संख्या में गणमान्यजन ने राम कथा का आस्वाद किया।