जयपुर, 20 अप्रेल। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि देश में संवैधानिक संस्थाओं का बढ़ता दुरूपयोग चिंता का विषय है। लोक सेवकों का यह कर्तव्य है कि देश में असंवैधानिक एवं अलोकतांत्रिक परिस्थितियों का निर्माण ना हो।लोक सेवकों को अपनी भूमिका केवल राजकीय सेवा तक सीमित ना रखकर समाज हित के कार्यों में भी भाग लेना चाहिए।
गहलोत ने आज यहां सिविल सेवा दिवस-2023 के अवसर पर ‘प्रतिबद्ध प्रशासन, राज्य में सुशासन’ की थीम पर आयोजित समारोह को संबोधितकरते हुए कहा कि देश में मजबूत लोकतंत्र के लिए लोक सेवकों की अहम भूमिका है। लोक सेवकों की भागीदारी से ही संवेदनशील, पारदर्शी एवं जवाबदेह सुशासन संभव है।
उन्होंने कहा कि 2030 तक राजस्थान को देश का प्रथम राज्य बनाने की राज्य सरकार की परिकल्पना को साकार करने में लोक सेवकों का योगदान महत्वपूर्ण है।पंडित नेहरू एवं सरदार पटेल जैसे महापुरुषों की सोच से देश में एक उत्कृष्ट सिविल सेवा की नींव पड़ी, जिसका सम्मान उत्तरोतर बढ़ा है।
उन्होने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी ने सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से देश को 21वीं सदी से जोड़ने का सपना देखा था। इसी का परिणाम है कि देश आज आईटी के क्षेत्र में नए आयाम हासिल कर रहा है। आईटी के लिए राज्य में 3 प्रतिशत बजट का प्रावधान किया गया है, इससे राजस्थान आईटी के क्षेत्र में देश में अग्रणी राज्य बनकर उभरा है।