CM अशोक गहलोत की लोकप्रियता का ग्राफ काफी चढ़ चुका है।

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अलवर, 25 सितम्बर । राजस्थान की राजनीति इस बार अजीबोगरीब गतिविधियों के साथ चल रही है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों में गुटबंदी चरम पर है लेकिन कांग्रेस को बड़ा फायदा यह है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की लोकप्रियता का ग्राफ पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के मुकाबले काफी चढ़ चुका है।

इस बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चुनाव से पहले पूरी ताकत झोंक दी है जिसके लिए एक से बढ़कर एक योजनाएं लांच की इनमें सबसे ज्यादा लोकप्रिय योजना मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना है। दूसरे नंबर पर 100 यूनिट बिजली खर्च होने तक शून्य बिल आने और बिजली बिल में छूट देना है। महंगाई राहत योजना से भले ही जनता को ज्यादा फायदा नहीं मिला हो लेकिन लोग अभी तक रजिस्ट्रेशन करने के लिए पूछताछ करने के लिए ईमित्र कियोस्को पर पहुंचते हैं।

उधर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के धुर विरोधी रहे सचिन पायलट को जब से हाई कमान ने मिलकर विधानसभा चुनाव में काम करने की नसीहत दी हैतब से पायलट का पूरी तरह सकारात्मक रूप दिखाई दे रहा है । भले ही अंदरूनी राजनीति के अभितार्थ कुछ भी हो। देखा जाए तो राजस्थान में कांग्रेस पार्टी से बड़ा कद अशोक गहलोत का हो गया है जिस तरह से केंद्र में भारतीय जनता पार्टी के मायने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूप में दिखते हैं।

राजस्थान की राजनीति में इस समय भाजपा परिवर्तन चाहती है और इसके लिए परिवर्तन यात्रा निकाली जा रही है जबकि कांग्रेस और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत वापस अपनी सरकार लाने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं। इधर भारतीय जनता पार्टी की ओर से अभी तक स्पष्ट रूप से मुख्यमंत्री का चेहरा प्रकट नहीं करने से आम जनता और भाजप कार्यकर्ताओं में असमंजस जैसी स्थिति हो रही है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को ही मुख्यमंत्री के रूप में देखती है। अब देखना यह है कि क्या भाजपा का शीर्ष नेतृत्व और आरएसएस लॉबी पूर्व सीएम राजे को दोबारा राज करने का अवसर देगी?

इधर भारतीय जनता पार्टी की ओर से राजस्थान में चल रही परिवर्तन यात्रा के बीच अचानक पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का रहस्य में ढंग से गायब हो जाना जबरदस्त चर्चाओं को हवा दे रहा है। राजनीतिक कयासबाजी यहां तक पहुंच गई है कि इस बार भारतीय जनता पार्टी मुख्यमंत्री का चेहरा अचानक प्रकट करेगी। इसके लिए केंद्र से बड़ा लीडर भी भेजा जा सकता है जो खानकी राजनीति के नए सितारे होंगे।

इधर भारतीय जनता पार्टी के पास अशोक गहलोत सरकार की खामियां गिनाने के अलावा कोई ऐसा ठोस मुद्दा नहीं है जिसे जनता तुरंत स्वीकार कर ले । दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों में ही इस बार टिकट पूरी तरह छानबीन करके जितवा प्रत्याशी को ही देने का निर्णय पार्टियों ने लिया है।

कांग्रेस पार्टी का अलवर शहर और ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र सहित कई टिकट फूलबाग पैलेस की तय करेगा ऐसा कांग्रेस के स्थानीय अनुभवी लीडर कहते हैं। कांग्रेस का टिकट इस तरह से है जैसे जहां पर कृपा राम की हुई ता पर कृपा करें हर कोई …इसी.. तर्ज पर जा पर कृपा भवर साहब की होवे, सोई टिकट का भागी होवे।

भारतीय जनता पार्टी में अलवर शहर की टिकट के लिए वर्तमान शहर विधायक संजय शर्मा पूर्व विधायक बनवारी लाल सिंघल सहित कई दावेदार हैं। वही अलवर शहर और रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र पर सबसे ज्यादा नजर टिकी हुई है। राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं हैं कि अलवर शहर में टिकट के लिए पार्टी का शीर्ष नेतृत्व और वक्त पर कोई नया चेहरा भी ला सकता है जो वैश्य समाज से हो सकता है।

कुल मिलाकर चुनावी चर्चाएं काफी गर्माहट पकड़ चुकी हैं। टिकट पाने की इच्छा रखने वाले नेताओं की चिंताएं भी बढ़ती जा रही हैं। टिकट पाने की इच्छा पूरी होने के लिए भाजपा और कांग्रेस के नेता धार्मिक स्थलों पर मत्था टेक रहे हैं और बाबाओ से आशीर्वाद ले रहे हैं। यही नहीं पिछले दिनों से लगातार भागवत कथाओं और अन्य धार्मिक आयोजन भी ऐसे नेता ही कर रहे हैं जो इस बहाने भीड़ जुटा कर अपने वोट बैंक पूर्वानुमान लगाना चाहते हैं।
साभार लक्ष्मी नारायण लक्ष्य ,स्वतंत्र पत्रकार  की एफबी वाल से