कोटा, 26 अक्टूबर। दिपावली के पावन पर्व पर लोग खुशियाँ मनाते है वहीं गुर्जर समुदाय एक ऐसा समुदाय है जो कि दिपावली के पावन पर्व पर अपने पूर्वजो को याद करता है।
राजस्थान गुर्जर महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष मन्नालाल गुर्जर ने बताया कि गुर्जर समाज साठ भरने की परम्परा कई सालो से चली आ रही है। समाज के लोग सामूहिक रूप से नदी तलाबो कुएं, बावडियों पर तर्पण करने जाते है। गुर्जर समाज के लोग दिपावली के एक दिन पहले सारी तैयारी कर लेते है और जो परिवार रोजगार के लिए शहरो में रहते है वह अपने -अपने गांव में परिवार सहित चले जाते है।
इस परम्परा को गुर्जर समाज के पुरूष वर्ग चाहे वह सौ साल का वृद्ध हो या तीन साल का बच्चा हो वह अपने पूर्वजो को तर्पण देते है। गुर्जर समाज के लोगो द्वारा अपने पूर्वजो के मन पसंद भोजन, पकवान,सामग्री थालियों में सजा कर जलाशयों पर एकत्र होते है। फिर उन सब पकवानो को एक बड़े बर्तन में इकक्ठा कर गन्ने के पत्तो की बेलड़ी बना कर जलाशयों में साठ भरने की रस्म पूरी करते है और पकवानो का भोग लगाते है और हवन में आहूति देकर अपने पूर्वजो से समाज, परिवार और देश की खुशहाली की कामना करते है और उसके बाद सामूहिक रूप से जलाशयों में खड़े होकर पत्तो की बेलड़ी हाथो में लेकर सामूहिक रूप से पानी में बहाते है।
शिवपुरा स्थित भीतरिया कुंड पर भी आज साठ भरने की रस्म की गई इस अवसर पर डॉ नवीन गोचर, देवलाल गोचर, सज्जन सिंह भड़ाना, राजेश बोड, लेखराज कसाना, ंिकशन बोड, पार्षद प्रदीप कसाना, बजरंग लाल भालोट, शिवि भड़क, सहित गुर्जर समाज के लोग उपस्थित थे।