जयपुर, 19 फरवरी । आध्यात्मिक विश्वविद्यालय की तरफ से ताड़केश्वर मंदिर , चौड़ा रास्ता, त्रिपोलिया बाजार, जयपुर में श्रीमद्भगवद्गीता श्लोकों के आधार पर आयोजित आध्यात्मिक सेमिनारमें मुख्य वक्ता एडवोकेट पीबीके अमोल भाई ने कहा परमात्मा सर्वव्यापी नहीं है ।
अमोल भाई ने कहा परमात्मा को सर्वव्यापी बताकर उसको कण-कण में व्याप्त बता दिया है । वह एक व्यापी है और कलयुग के अंत में इस सृष्टि पर आता है । उन्होने कहा शिव शंकर भोलेनाथ इस सृष्टि के आदि पुरुष हैं। उनके द्वारा इस सृष्टि की शुरुआत होती है । परमात्मा सम्मुख आकर बाप- सद्गुरु – टीचर बनकर जब तक ज्ञान नहीं देते तब तक मनुष्यों का उद्धार नहीं हो सकता।
मुख्य वक्ता ने कहा कि गीता ज्ञान सुनाने का समय अभी है ।जबकि दुनिया में पाप व्यभिचार बढ़ रहा है तो परमात्मा ही आकर के इस सृष्टि का परिवर्तन कर सकते हैं और वह अभी कर रहे हैं। गीता के श्लोक के आधार पर उन्होंने बताया- त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं नाशनमात्मन: ।आत्मा में 3 विकार जो है उन्हें गीता में काम क्रोध और लोभ नरक के तीन द्वार बताए हैं। आज दुनिया काम विकार जिसे भोग वासना कहते हैं उसमें लिप्त हुई पड़ी है उस विकारी सुख को ही परमानंद समझती है, परंतु इन तीनों विकारों के आने से आत्महत्या के मामले बढ रहे हैं।
उन्होंने बताया कि आत्मिक स्थिति का अभ्यास करने से और आत्मा को संयम करने से ही इन सब विकारों पर जीत पाई जा सकती है और सुख शांति प्राप्त की जा सकती है। आदि सनातन देवी-देवता धर्म की जो धारणाएं -मान्यताएं हैं जो अब पूर्णतः खंडित हो चुकी हैं । सनातन धर्म की धारणाओं में कभी तलाक की परंपरा नहीं थी लेकिन अब भारत में भी यह तलाक की परंपरा चल पड़ी ।
विगत 7 फरवरी को आयोजित सेमीनार को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कलयुग की दुनिया रात्रि की दुनिया है इस समय पाप है ,अत्याचार है तो जब ज्ञान सूर्य इस सृष्टि पर अवतरित होता है तो इस अंधकार रूपी रात्रि को खत्म कर देता है। उन्होंने बताया कि रामनवमी बोला जाता है ,कृष्ण जन्माष्टमी बोला जाता है लेकिन शिव की जयंती को शिवरात्रि बोला जाता है क्योंकि पूरी दुनिया में जब अज्ञान अंधकार की रात्रि फैल जाती है तब भगवान शिव इस सृष्टि पर अवतरित होते हैं।