अन्नदाता के आंसू वक्त पर पोंछ दीजिए, रामजी राजी होंगे

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अनिल माथुर

जयपुर, 16 सितम्बर । राजस्थान में कम बारिश होने की वजह से किसान खासा परेशान है । किसान को उम्मीद थी कि अच्छी फसल होगी लेकिन जिस समय फसल को पानी चाहिए था,किसानों से राम रूठ गया और फसले सूख गयी ।सरकार इसमे कुछ कर भी नहीं सकती । विगत दो दिनों में जरूर बारिश हुई है वर्ना इसको छोडकर बारिश कम होने से किसान खासे परेशान है ।राज्य सरकार को देरी किए बिना तय समय में गिरदावरी करवा कर प्रभावित किसानों को सहायता मिले इसके लिए कारगर कदम उठाने की जरूरत है।

इस साल के अंत में होने वाले विधान सभा चुनाव के लिए आगामी अक्टूबर महिने के पहले पखवाडे में चुनाव आयोग किसी भी दिन चुनाव तिथियों की घोषणा कर सकता है । इसे देखते हुए प्रदेश मेे आचार संहिता लागू होने से पहले पहले राज्य सरकार ने प्रभावित किसानों के आसूं पौछ दिए तो किसानों के चेहरे पर रौनक लौट आएगी वर्ना किसान मानसिक रूप से बीमार होने और कर्जे में दब जाएंगे ।
राज्य में बारिश के आकड़ो पर नजर डाले तो हालात चिन्ताजनक है ।

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File Photo ;Courtesy Social Media

जयपुर संभाग के बांधो की पूर्ण भराव क्षमता गत वर्ष1936. 25 एम क्यूएम थी जो इस वर्ष 1441.12 एमक्यूएम है यानि बीते वर्ष के मुकाबले इस साल 7.51 एमक्यूएम पानी कम है । जोधपुर संभाग में विगत वर्ष के मुकाबले 23.85 एमक्यूएम, कोटा में 21.92 एमक्यूएम,बांसवाडा 18.57एमक्यूएम,उदयपुर संभाग के बांधों में गत वर्ष के मुकाबले इस साल 13.66 एमक्यूएम पानी कम है । पूरे राज्य के बांधों की भराव क्षमता की बात करे तो इस साल बांधों में 8,274.39 एमक्यूएम यानि पूर्ण भराव क्षमता का 65.34 प्रतिशत एमक्यूएम पानी है जबकि गत वर्ष 10,236.86 एमक्यूएम पानी यानि पूर्ण क्षमता का 80.83 प्रतिशत पानी था । (जल संसाधन विभाग ,राजस्थान की 9 सितम्बर 2023 रिपोर्ट के अनुसार)

अगस्त माह में बरसात नहीं होने पर ही राज्य सरकार क्रॉप -कटिंग एवं गिरदावरी की वैकल्पिक व्यवस्था कर सकती थी । इस वर्ष बाजरा की बुआइ क्षेत्रफल 70.81 लाख हेक्टर है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 0.40 लाख हेक्टर अधिक है। लेकिन वर्षा नहीं होने के कारण उत्पाद घटने के कारण इसका लाभ उत्पादक एवं उपभोक्ताओं को नहीं मिल पाएगा ।

संपूर्ण देश का 45% तक बाजरा राजस्थान में ही उत्पादित होता है। संपूर्ण देश का 48% तक मूंग का उत्पादन भी राजस्थान में होता है। देशभर में मूंग की बुवाई का क्षेत्रफल तो 0.59 लाख हेक्टर कम हुआ है यानी मूंग का क्षेत्रफल 30.98 लाख हेक्टर रहा । उड़द का बुवाई क्षेत्रफल भी 0.97 लाख हेक्टर कम हुआ है। माह अगस्त में सामान्य से 33% से अधिक बरसात कम हुई , इसका दुष्प्रभाव विशेषकर मूंग पर आया, क्योंकि मूंग की फसल 50-60 दिन में तैयार हो जाती है, गर्मी को सहन नहीं करने के कारण मूंग का उत्पादन 50% तक घटा है।

कमोवेश यही स्थिति अन्य फसलों की भी है। इससे जहां उत्पादकों को धक्का लगा वहीं उपभोक्ताओं को भी मूंग के अधिक दाम चुकाने पड़ेंगे। सरकार को आयात का बहाना मिल जाने से किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ेगी । सरकार समय रहते हुए गिरदावरी एवं क्रॉप कटिंग की कार्रवाई तुरंत पूरी करे ताकि प्रभावित किसानों को राहत मिल सके ।

गिरदावरी नहीं होने से अकाल की घोषणा संभव नहीं है । जिससे राज्य आपदा राहत कोष की सहायता से किसान वंचित रहेंगे तथा केंद्रीय आपदा राहत कोष से भी राज्य को सहायता प्राप्त नहीं हो सकेगी जिसका नुकसान राज्य के किसानों को उठाना पड़ेगा । जानकारों का कहना है कि जिन फसलों का प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत प्रीमियम वसूला गया है, उनकी क्रॉप कटिंग नहीं होने से किसानों को क्लेम नहीं मिल पाएगा ।

सरकार किसानों को राहत पहुंचाने के लिए अत्याधुनिक तकनीक ड्रोन की मदद से खराबे का आंकलन कर आचार संहिता लागू होने से पहले पहले फसल खराबे से दुखी किसानों को राहत देने का मार्ग प्रशस्त कर सकती है

राजस्थान में दो दिन से अच्छी बारिश हो रही है, यह सिलसिला कुछ दिन ओर चलता रहा तो किसानों को कुछ बहुत राहत मिलने की उम्मीद है । हालाकि समय पर फसल को पानी नहीं मिलने के कारण ज्यादातर फसल सूख चुकी है ।

साभार :मासिक समाचार पत्र माइंड प्लस  15 Sep,2023