अजूबा है त्रिगणेश मन्दिर

  Wonderful Triganesh- Temple -Ranthambore-Sawai madhopur-rajasthan-india

देश में एक ऐसा मन्दिर है जंहा कौसो मील से दूर भारतीय डाक तार विभाग के माध्यम से पत्र भेजकर या श्रद्वालु मन्दिर में विवाह का कार्ड या अन्य शुभ अवसर के कार्य यानि शगुन के काम शुरू करते है । ऐसे तो सैकेडों की संख्या में मन्दिर है जहां आज भी डाक विभाग नियमित रूप से डाक से आने वाले पत्र मन्दिर तक पहुंचाता है लेकिन संभवत सूनसान ​बींहड इलाके में जहां पैदल ही जाया जा सकता है डाक विभाग आज भी पत्र डिलेवर करता है ।

आप जानना चाहेंगे आखिर यह मन्दिर कौन सा है । आप जान गये होंगे मैं कौन से मन्दिर की बात कर रहा हूॅ यदि नहीं समझ पाये तो मैं बता रहा हूॅं । यह मन्दिर है त्रिगणेश मन्दिर , जी हॉ त्रिगणेश मन्दिर जहां आज भी डाक विभाग दूर दराज स्थानों से आये पत्र मन्दिर पहुंचाता है ।

यूं तो हर शुभ कार्य में गणेश जी की पूजा अर्चना करने और आमंत्रण देने के बाद ही शगुन के काम आंरभ होते है लेकिन त्रिगणेश मन्दिर में परिवारजन को स्वंय या परिवार का सदस्य पैदल चल कर त्रिगणेश मन्दिर पहुंचते है क्यूंकि पैदल के अलावा अन्य कोई ऐसा साधन नहीं है जिससे वहां तक पहुंचा जा सके ।

ख्यातनाम रणथंभौर राष्ट्रीय बाघ परियोजना क्षेत्र में आने वाले रणथंभौर किले में त्रिगणेश मन्दिर बना हुआ है । सैकेडों सीढीया चढने के बाद ही श्रद्वालु त्रिगणेश मन्दिर पहुंचते है ।रणथंभौर के किले में बना हुआ है यह त्रिगणेश मंदिर । इस मन्दिर में अन्य गणपति की मूर्तियों से अलग गणेश जी की प्रतिमा है। मूर्ति में भगवान गणेश की तीन आंखें हैं। भगवान गणेश  रिद्धि, सिद्धि और अपने पुत्र शुभ-लाभ के साथ विराजमान हैं। गणनायक का वाहन चूहा भी साथ में है।

त्रिगणेश जी का मन्दिर 10 वीं सदी में रणथंभौर के राजा हमीर ने बनवाया था। किदंवती है कि  युद्ध के दौरान राजा हमीर के सपने में भगवान गणेश आए थे और उन्हें आशीर्वाद दिया था जिसके बाद एक युद्ध में राजा की विजय हुई थी उसी के बाद राजा ने इस मंदिर को बनवाया था।

डाक द्वारा मीलों दूर से आने वाले हर एक पत्र को डाकिया आदरपूर्वक पंडित जी को सौपता है ओर पंडित जी हर एक पत्र को पढकर त्रिगणेश जी को सुनाते है । यहीं रस्म मन्दिर में उपस्थित होकर त्रिगणेश भगवान को शुभ कार्य में आमंत्रित करने के लिए भक्तों के पत्रों के साथ निभायी जाती है ।